Thursday, May 12, 2011

ओसामा-ओबामा: सच्चाई क्या है? -- सुनील अमर


ओसामा-ओबामा कांड को लेकर कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जबाब कई रहस्यों पर से पर्दा हटा सकते हैं। इन सवालों के बेहतर जबाब या तो सिर्फ वे शख्स दे सकते हैं जो ओसामा के इर्द-गिर्द (पाकिस्तानी शासक भी) रहते थे या फिर ओबामा और उनकी सी.आई.ए. टीम। अभी तक जो समाचार अमेरिकी प्रशासन द्वारा धीरे-धीरे जारी किए जा रहे हैं वे बहुत बे-सिलसिले के और भ्रमकारी हैं। एक बहुत सोची-समझी और मकड़ी के जाल जैसी जो कहानी अंकल सैम द्वारा बतायी जा रही है वो यकीनन सब कुछ गड्ड-मड्ड कर देगी, और अमेरिका यही चाहता भी है।
पहले तो दुनिया की इस सर्वाधिक हाहाकारी घटना का वक्त। सारी दुनिया जानती है कि अपने लम्बे कार्यकाल के सबसे तकलीफदेह समय में इन दिनों ओबामा हैं। पिछले तीन वर्षों से अमेरिका मेे छाई मंदी, कमरतोड़ मॅहगाई ऐसी कि तमाम अमेरिकी अपना इलाज कराने भारत आ रहे हैं और ओबामा उन्हें भाषण देकर मना कर रहे हैं, बेहतर नौकरी या व्यवसाय के चक्कर में अमेरिका गये लोग वापस अपने वतन लौट रहे हैं, स्वयं ओबामा भारत आकर तमाम नौकरियों का जुगाड़ अभी पिछले दिनों करके गये हैं और ऐसे में अमेरिकी जनता का जबर्दस्त दबाव कि अमेरिका अन्य देशों पर हो रहे फालतू खर्च को तत्काल बंद करे। राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया वहाँ शुरु हो चुकी है और सर्वेक्षणों में ओबामा की छवि में जोरदार गिरावट बतायी गयी है। अब ऐसे में कोई जादू की छड़ी ही हो सकती थी जिसे कि वे घुमाते और उनकी लोकप्रियता दुरुस्त हो जाती! 
लेकिन अचानक सब कुछ ऐन मौके पर ऐसे सही हो गया है जैसे कि यह सब कुछ बिल्कुल अपने हाथ में ही था कि जब चाहेंगें तब कर लेंगे। पिछले एक दशक से जिस शख्स को अमेरिका जी-जान से खोज रहा था और दुनिया के लगभग आधे उपग्रह सिर्फ ओसामा की ही जासूसी में लगे थे वह एक साधारण से खबरी की मार्फत खोज लिया गया। वह खबरी कौन है इसे सिर्फ अमेरिका जानता है और वह किसी को बताएगा नहीं, ऐसा वह पहले ही कह चुका। आप गौर कीजिए तो पायेंगे कि वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर पर हमले के बाद से ही ओसामा का तो कहीं कोइ अता-पता मिल नहीं रहा था लेकिन उससे भी ज्यादा बयानबाजी, धमकी और क्रियान्वयन तो अल-जवाहिरी कर रहा था और आज भी कर रहा है तो असल खतरा आज की तारीख में किससे है? लेकिन जवाहिरी को मारने पर वह सार्थक प्रतिक्रिया ओबामा को न मिलती जो ओसामा को मार कर मिल रही है। कई बार मुर्दे को भी मारना जरुरी हो जाता है। कई बार मरे सांप  पर भी लाठी भांजी  जाती है।
दूसरा, ओसामा के मरने की खबर जब ओबामा ने जारी की तो एक फोटो दिखाई गयी कि सील कमांडो के हेलमेट में लगे कैमरे से सारे शूट-आउट का सजीव प्रसारण ह्वाइट हाउस में बैठकर ओबामा की उच्च स्तरीय कमेटी ने साथ-साथ देखी। आज यह बताया जा रहा है कि वह तो सिर्फ शुरुआती 15 मिनट का प्रसारण ही देखा जा सका था और ओसामा को मारे जाते दृश्य को ओबामा देख नहीं सके थे! यह सुधार भला क्यो? कही यह डर तो नहीं कि विश्व बिरादरी देर-सबेर वह वीडियो मांगने  न लगे?
ओसामा ऐबटाबाद में आधी रात के बाद मारा गया। सील का एक हेलीकाप्टर ओसामा के एक गार्ड ने अपनी साधारण रायफल से मार गिराया लेकिन कोई मुठभेड़ नहीं हुई! उस गार्ड ने या अन्य गार्डों ने अमेरिकी सील पर गोली नहीं चलाई। क्यों? जिस इमारत को अमेरिका बार-बार अति सुरक्षित कह रहा है वो कैसी सुरक्षित थी कि वहां कोई प्रतिरोध ही नहीं होता था? और ओसामा, दुनिया का वह खूंखार  आतंकी जो बिना एक रायफल लिए अपना फोटो तक न खिंचाता रहा हो वह बिना किसी असलाह के अपने घर में रहता था? ऐबटाबाद से आ रही खबरे बता रही हैं कि उसके घर के चारों तरफ क्लोज सर्किट कैमरे लगे हैं, जो कि स्वाभाविक ही है, तो क्या वे कैमरे दिखावटी थे? या ओसामा के सारे स्टाफ को ओबामा एन्ड कम्पनी ने खरीद लिया था? क्या इन्हीं बिकाऊ (?) साथियों के भरोसे वह इतने दिनों से अजेय बना हुआ था? 
अमेरिका ने इस हत्याकांड की शूटिंग करा रखी है लेकिन किसी को दिखाएगा नहीं, अमेरिका ने ओसामा को अरब सागर में जल समाधि दे दी है लेकिन किसी को इसका सबूत देगा नहीं, अमेरिका ने ओसामा का डी.एन.ए. नमूना लिया हुआ है लेकिन वह दिखाया नहीं जा सकता, अमेरिका ने ओसामा को 2 मई की उसी तथाकथित मुठभेड़ में मारा(?) है, इसे ही दुनिया सच माने और इसके लिए वह कोई भी सबूत नहीं देगा। अमेरिका इधर कई वीडियो जारी कर रहा है लेकिन इसमें वो वीडियो नहीं है जिसमें ओसामा को पकड़ते या मारते दिखाया गया हो ! ऐसा क्यों? ऐबटाबाद के उस किलेनुमा मकान से ओसामा नामक शख्स पकड़ा ही नहीं गया या उसे अभी तक मारा नहीं गया है? एक फोटो अमेरिका ने जारी किया है जो उसके चेहरे का क्लोज-अप है और जिसमें उसकी बायीं आँख में  गोली लगी दिखती है लेकिन यह हू-ब-हू वही फोटो है जो 100 में से 90 अवसरों पर अलकायदा की तरफ से आज तक जारी होता रहा है। बस इसमें आँख  में गोली लगने को जोड़ सा दिया गया है जो कि आजकल कोई नौसिखिया ‘फोटो शॉप ’ जानने वाला भी कर सकता है ! तो फिर सच्चाई क्या है?
कानाफूसियों में अगर कुछ दम है तो अमेरिका जबर्दस्त घरेलू दबाव के चलते अफगानिस्तान से हटना चाहता है, भले ही उसे वहां  की सत्ता तालिबानियों को ही क्यों न सौंपनी पड़े! अब तालिबानी और अलकायदा, दोनो एक साथ तो रह नहीं सकते। इनमें से एक का बाजा बजाना जरुरी था। कटौती पाकिस्तान को दी जाने वाली भारी रकम में भी करनी है, इसलिए उसे भी एक बहुत बड़ी अमेरिकी जिम्मेदारी यानी ओसामा की खोज से मुक्त करना जरुरी हो गया था! अमेरिका पाकिस्तान को मदद जारी रखेगा क्योंकि वह तो कई दशकों से ऐसा कर रहा है। 
यह सोचना भी जरुरी है कि पाकिस्तान में ओसामा को मारकर (?) अमेरिका ने एक तीर से कितने शिकार किए! अपनी जनता को खुश किया, भारत को भी खुश कर दिया, और भारत को संदेश भी दिया कि जो कुछ भी करेंगें हम ही करेगें, तुम कोई शरारत करने की न सोचना! सारी दुनिया में अपनी धाक का नवीनीकरण कर दिया कि हम जिसे मारना चाहेंगें उसे कहीं भी जाकर मार आएगें - धरती में धॅसहु या पतालहु चीरौं! 
इस ओसामा प्रसंग में अमेरिका ने या तो पाकिस्तान को साथ  रखा है या फिर अलकायदा को। इसके बगैर ओसामा काण्ड  होना नामुमकिन था। अलकायदा को भी यकीन आ गया है कि ओसामा मार डाला गया है! इतनी जल्दबाजी क्यों? तो क्या यह उड़ती खबर सच है कि जवाहिरी अलकायदा प्रमुख बनने के लिए बहुत उतावला है? क्या इस सारे घटनाक्रम में उसका पर्दे के पीछे से कोई रोल हो सकता है? और आखिरी शंका यह कि क्या ओसामा अमेरिकी बहादुरी से नहीं अपने किसी साथी की गद्दारी से इस अंजाम तक पहॅुचा?
अमेरिका के बहुत से संगीन दुश्मन दुनिया के और भी देशों में हैं। अभी गत वर्ष चीन ने ही 5 अमेरिकियों को एक हेलीकाप्टर को मार - गिराकर पकड़ लिया था और अमेरिका की सारी धौंस और अकड़ निकाल लेने के बाद ही चीन ने उन्हें छोड़ा था। यह नाटक लगभग महीने भर चला था। क्या तब अमेरिका के पास ‘सील कमांडो’ नहीं थे? 
सच्चाई यह है कि पाकिस्तान तो अमेरिका के लिए अपने घर के पिछवाड़े जैसी अहमियत मात्र रखता है जहाँ  जब मर्जी चारपाई डालकर बैठो या जरुरत पडे तो दिशा-मैदान भी हो लो। क्या अमेरिका उपर्युक्त शंकाओं का जबाब कभी देगा?  00

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