कभी भारतीय जनता पार्टी व संघ के वरिष्ठ नेता रहे श्री के.एन. गोविंदाचार्य ने कहा है कि देश की राजनीति में अब सत्ता दल और विपक्ष में कोई अन्तर नहीं रह गया है। अब सभी दल अमीर व विदेश परस्त होने के साथ-साथ साम्राज्यवाद के पुजारी हो गये हैं। भाजपा को स्मृति लोप का शिकार बताते हुए उन्होंने कहा कि देष की राजनीति को स्व्च्छ बनाने के लिए मुद्दों व मूल्यों को वापस पटरी पर लाना होगा। वे उ.प्र. के फिरोजाबाद शहर में एक निजी कार्यक्रम में भाग ले रहे थे। भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ दोनों श्री गोविंदाचार्य से पिछले 10 वर्षों से किनारा किये हुए हैं। इन दोनों संगठनों से उनके रिश्ते तभी टूट गये थे जब दस साल पहले उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को 'मुखौटा' कह दिया था।
यह भारतीय राजनीति की विडम्बना ही है कि जो इसे नहीं जानते हैं वो और जो इसे भोग चुके हैं वो भी, दोनों इसकी बॉह मरोड़ने का ही काम किया करते हैं। इधर के एकाध दशक में तो देश में ऐसे काफी लोग हो गये हैं जो, जब तक उनके लिए कैसी भी गुंजाइश बनी रही तब तक तो वे किसी भी राजनीतिक दल में बने रहे और जब वे हर तरफ से 'अनफिट' हो गये तब उन्होंनें राजनीतिक दलों की दुदर्शा पर उपदेश देना शुरु कर दिया। समाजवादी पार्टी से निष्कासित उसके महासचिव अमर सिंह हों, योग गुरु से नेता के चोले में रुपान्तरित हो रहे स्वामी रामदेव या फिर भाजपा-संघ निष्कासित श्री गोविंदाचार्य, इन सबकी लालसा और वासनाऐं एक जैसी ही हैं।
श्री गोविंदाचार्य अपने छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े और 1988 में संघ ने उन्हें भाजपा में भेज दिया। भाजपा में जाकर उन्होंने देष का साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाली (और अपने ढ़ॅंग की अनोखी) श्री आडवाणी की रथ यात्रा तथा बाद में बाबरी मस्जिद विधवंस की गाथा लिखी और पार्टी के भीतर 'थिंक टैंक' की उपाधि पाई। आज मुद्दों व मूल्यों की बातें करने वाले श्री गोविंदाचार्य को पहले यह बताना चाहिए कि वर्ष 1965 से संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बनकर और 1988 से लेकर 2000 तक भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव रहकर रथ यात्रा और बाबरी मस्जिद विधवंस के अलावा तीसरा कौन सा राष्ट्रीय मुद्दा उन्होंने तैयार किया और इन सबके द्वारा उन्होंने किन सामाजिक मूल्यों की स्थापना की? वे किन्हीं मुद्दों और मूल्यों को पटरी पर लाने की बात प्राय: करते हैं लेकिन यह स्पष्ट नहीं करते कि वे मूल्य और मुद्दे हैं क्या-क्या? उनका मुद्दा अगर भारत को कट्टर हिन्दू राष्ट्र बनाना और मूल्य, मुसलमानों को डरा-धमका कर उनकी मस्जिदों पर मंदिर बनाना है तो इस विचार को तो देश की जनता ने काफी पहले ही खारिज कर दिया है, और इस पर एक ताजा मुहर बीते 30 सितम्बर 2010 को आये अदालती फैसले के बाद दोनों समुदाय के लोगों की आपसी सहिष्णुता ने लगा दी है। आज जिन मुद्दों और मूल्यों की बात वे करते हैं, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रहते उन्होंने कभी नहीं की। आज वे सारे राजनीतिक दलों पर साम्राज्यवाद का पुजारी होने का आरोप लगाते हैं, लेकिन जीवन भर वे अखंड भारत के नाम पर जिस वृहत्तर भारत की कल्पना को धार देते रहे हैं, क्या वह साम्राज्यवाद नहीं है? भाजपा को स्मृति लोप का शिकार बताकर क्या वे उसे एक बार फिर से बाबरी मस्जिद और रथ यात्रा जैसे कार्यक्रमों की याद दिलाना चाहते हैं?
श्री गोविंदाचार्य की ही तरह समाजवादी पार्टी के बर्खास्त राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह भी आजकल पूर्वी उत्तर प्रदेश में सड़क-सड़क भ्रमण कर उस राजनीतिक दल के कुकर्मों का भंडाफोड़ करने की धमकी रोज दे रहे हैं, जिसके सबसे खास सिपहसालार वह 15 वर्षों तक रह चुके हैं। उनके पार्टी में रहने के दौरान सपा ने जो कुछ भी किया उसके सबसे बड़े कशीदाकार वे स्वयं ही रहे लेकिन आज वे समाजवादी पार्टी के तथाकथित कुकर्मो की कुछ इस तरह चर्चा करते हैं जैसे उन 15 वर्षों के दौरान उनका काम महज पार्टी की बैठकों में दरी बिछाना और बटोरना ही था! समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव अपनी कार्य-संस्कृति के कारण पार्टी जनों में 'धरती पुत्र' कहे जाते थे लेकिन श्री अमर सिंह ने उन्हें सप्रयास ए.सी. और हेलीकॉप्टर संस्कृति वाला बना दिया। आज अमर सिंह पूर्वांचल राज्य बनाने की बात करते हैं और इस हेतु यात्राऐं कर रहे हैं, लेकिन सपा के साथ अपनी लम्बी राजनीतिक युगलबंदी (जिसमें पार्टी दो बार सत्ता में भी रही) के दौरान वे इसके विरोध में मुलायम सिंह के स्वर में स्वर मिलाते रहे।
सभी लोग जानते हैं कि सपा प्रमुख अपने राजनीतिक स्वार्थां के कारण पूर्वांचल राज्य बनने का शुरु से ही विरोध करते हैं। सपा से अपने निष्कासन के बाद से ही श्री अमर सिंह मुलायम और उनके परिवार पर राजनीतिक रुप से हमलावर हैं। आज अमर सिंह के पूर्वांचल अभियान को लोग महज इतना ही समझ रहे हैं कि यह मुलायम सिंह को परेशान करने का एक और स्टंट मात्र है। यह बात आईने की तरह साफ है कि वे एक बार फिर सपा में वापसी के लिए उतावले हैं और बीच-बीच में इस आशय में लिपटे हुए बयान भी वे जारी करते रहते हैं। ऐसे में उनके पूर्वांचल राज्य गठन के इस अभियान को कोई कितनी गंभीरता से ले सकता है? आज अमर सिंह सार्वजनिक सभाओं में बार-बार स्वीकार करते हैं कि उन्होंने पूर्वांचल के लोगों के साथ छल किया है। लोगों पर असर जमाने के लिए वे अपने कई और राजनीतिक कुकर्मों को भी स्वीकार करते हैं, और यह सब करके वे यह समझते हैं कि अब भोली जनता उनका पुनर्जन्म स्वीकार कर लेगी।
देश में एक स्वामी रामदेव हैं जो समस्त व्याधियों का उपाय अभी तक योग में ही बताते रहे हैं और कहा जा रहा है कि इसी योग की बदौलत वे न सिर्फ अरबपति बल्कि उद्योगपति भी हो गये हैं। आज तक वे सभी लोगों को काम, क्रोध, मद व लोभ त्यागकर सादा व संयत जीवन जीने का ही उपदेष देते रहे हैं। अब जबकि उनके पास ऐसी तमाम भौतिक वस्तुओं का अम्बार लग गया है जो कायदे-कानून की जद में आ रही हैं तो उन्हें लगने लगा है कि अब देश का दु:ख तकलीफ राजनीति में आये बिना दूर नहीं किया जा सकता। आजकल वे जोरों से राजनीति में आने व चुनाव लड़ने की तैयारियाँ कर रहे हैं। अब ये भी पता चल रहा है कि पक्षपात रहित जीवन बिताने का उपदेश देने वाले ये बाबा काफी अरसे से भारतीय जनता पार्टी को भारी-भारी रकमें चंदे के रुप में देते रहे हैं। अभी कुछ दिनों पूर्व स्वामी जी ने अपने ही श्रीमुख से यह रहस्योद्धटन किया था कि उत्तराखंड सरकार के एक मंत्री ने उनसे एक भारी रकम की घूस ली थी। ज्ञात रहे कि स्वामी जी के कई कारखाने हैं जो आम बीमारियों की दवा बनाने से लेकर स्तन सुडौल करने और जवानी बरकरार रखने की दवा भी बनाते और प्र्रचार सहित बेचते हैं। स्वामी जी के कारखाने में बनी दवाऐं कोई धर्मार्थ नहीं हैं बल्कि बाजार में अपने समतुल्य दवाओं से मँहगी ही होती हैं। स्वामी जी के कारखाने में भी श्रमिकों व कर्मचारियों का बदस्तूर शोषण होता है और अभी बीते दिनों काफी समय तक इनके श्रमिक धरना-प्रदर्शन पर आमादा थे।
तो ये वे लोग हैं जो कायदे से तो अपनी पारी का पूरा खेल हमें-आपको दिखा चुके हैं और हम-आप इनके सारे हुनर से वाकिफ़ हैं लेकिन इन्हें लगता है कि एक बार फिर से राजनीतिक प्लास्टिक सर्जरी कराकर ये जनता को अपनी हवस का शिकार आसानी से बना सकत हैं।
(Published in Humsamvet Features on 04 APR. 2011, humsamvet.org.in)
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