Saturday, January 14, 2012

अदालत का यह रवैया सराहनीय ---- सुनील अमर


दिल्ली की  रोहिणी कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी ने एक और सराहनीय कार्य किया है.
नाबालिग और मिर्गी की बीमारी से ग्रस्त एक लड़की के साथ 5 लड़कों द्वारा वर्ष २०११ में  3 दिन तक सामूहिक बलात्कार करने के मामले में पुलिस द्वारा घटनास्थल का सही नक्शा प्रस्तुत न करने पर न्यायमूर्ति कामिनी ने कल सरकारी वकील के साथ जाकर ख़ुद घटनास्थल का मुआयना किया. फ़ैसला १९ जनवरी को आना है. यह अनुकरणीय प्रसंग है.
जहां तक मुझे याद आता है, इससे पूर्व भी न्यायमूर्ति कामिनी ने वरिष्ठ कांग्रेसी नेता नारायण दत्त तिवारी के चर्चित पितृव्य कांड में रक्त-नमूना देने से बार-बार इन्कार करने पर कहा था कि इस वजह से क्यों न उन्हें वादी का जैविक पिता मान लिया जाय.
और इससे भी पहले न्यायमूर्ति कामिनी ने बलात्कारियों  के सम्बन्ध में कहा था कि क्यों न ऐसे ''आदी बलात्कारियों '' को बधिया कर दिया जाय

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