Friday, October 01, 2010

न्याय और फैसले में फर्क

'........मैं एक सीधी सी बात जानता हूँ कि एक पूजा स्थल को जबरन गिरा कर उस पर दूसरा पूजा स्थल बना लेना न तो तर्क संगत कहा जा सकता है , और न ही न्याय संगत . यहाँ यह समझना जरूरी है कि न्याय और फैसले में फर्क होता है . अदालत ने फैसला किया है .
---- सुनील अमर

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